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सोमवार, 19 दिसंबर 2011




गुले गुलज़ार हो गया  कोई
 प्यारे इकरार  हो गया कोई 
 अब न कोई बहाना होगा न आने का
 अब तो राहे बहार हो गया कोई 
मुद्दत्त से आरजू की थी 
अब इन्तेज़रें मुद्दत हो गया कोई 
फलसफा  इतना ही नहीं जिंदगी का 
जिंदगी ए फलसफा हो गया कोई ........

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